ब्लॉगर मित्रों,
यहाँ हिन्दुस्तानी एकेडेमी को सक्रिय रखने में कुछ तकनीकी बाधा उत्पन्न हो गयी है। लेकिन निराश न हों, इसका नया ठिकाना बस यहाँ क्लिक करते ही मिल जाएगा। कष्ट के लिए खेद है। धन्यवाद!
सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
ब्लॉगर मित्रों,
यहाँ हिन्दुस्तानी एकेडेमी को सक्रिय रखने में कुछ तकनीकी बाधा उत्पन्न हो गयी है। लेकिन निराश न हों, इसका नया ठिकाना बस यहाँ क्लिक करते ही मिल जाएगा। कष्ट के लिए खेद है। धन्यवाद!
सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
मित्रों,
चाहता तो था कि यह आमन्त्रण पत्र ही सीधे आपको पढ़ा दूँ, लेकिन शायद इसके लिए लेन्स की जरूरत पड़े। आपकी मदद के लिए मुख्य बातें यहाँ दे रहा हूँ।
रविवार- २१ सितम्बर,२००८ को एकेडेमी सभागार में विचार-गोष्ठी
विषय: इलाहाबाद का सांस्कृतिक एवं साहित्यिक योगदान
प्रथम सत्र-१०:३० से १२:३०
मुख्य अतिथि: श्री मारकण्डेय
विषय प्रवर्तन: प्रो. हेरम्ब चतुर्वेदी
इलाहाबाद का सांस्कृतिक योगदान: डॉ. रामनरेश त्रिपाठी
इलाहाबाद की स्थानीय परम्पराएं: श्री नरेश मिश्र
इलाहाबाद और उर्दू अदब: प्रो. ए.ए.फ़ातमी
द्वितीय सत्र-१:३० से ३:३०
इलाहाबाद की नाट्य परम्परा: प्रो.अनीता गोपेश
इलाहाबाद का स्वातंत्र्योत्तर साहित्य: श्री यश मालवीय
इलाहाबाद और संगीत की परम्परा: डॉ. शिप्रा सान्याल एवं डॉ. रेखा रानी
इलाहाबाद और पत्रकारिता:: डॉ. मुश्ताक अली
निवेदक: डॉ. एस.के.पाण्डेय, सचिव
हिन्दुस्तानी एकेडेमी,इलाहाबाद
प्रस्तुति: सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
हिन्दी प्रेमी भाइयों और बहनों,
आज १२-१३ सितम्बर की मध्य रात्रि के समय मैं ‘हिन्दुस्तानी एकेडमी’ को अन्तर्जाल पर उतारने का दुस्साहस कर रहा हूँ। जी हाँ, दुस्साहस इस लिए कि इस संस्था का इतिहास जिन लोगों से बना है, उनके व्यक्तित्व के आगे मेरी गिनती सूर्य के आगे एक दीपक की भी नहीं है। हिन्दी के प्रकाण्ड विद्वानों, शोधकर्ताओं, मनीषियों, और लब्ध-प्रत्तिष्ठ साहित्यकारों की कर्मस्थली रही इस एकेडमीं के बारे में कुछ लिख सकने की क्षमता मुझ जैसे गैर साहित्यिक विद्यार्थी के लिए दुस्साहस ही तो है।
लेकिन मैने इस संस्था में अपनी भूमिका साहित्य लिखने या इसकी समीक्षा करने की नहीं तय की है। बल्कि श्री राज्यपाल महोदय द्वारा इस संस्था के एक गैर साहित्यिक (कोषाध्यक्ष) पद हेतु नामित किए जाने की सहर्ष स्वीकृति के बाद इस उत्कृष्ट प्रांगण में प्रवेश करने का बहाना मिलने पर मैने अपने चिठ्ठाकारी के अत्यल्प अनुभवों का ही प्रयोग कर इस बिसरायी जा रही संस्था को आप सबके ध्यान में लाने और इसके गौरव को नयी ऊँचाइयों तक पहुँचाने के लिए आप सभी के सक्रिय योगदान की अपील करने के लिए मैने इस ब्लॉग का माध्यम चुना है।
अतः, हे हिन्दी सेवी ब्लॉगर बन्धुओं एवं अन्यान्य विद्वतजन, मेरा अनुरोध है कि अपनी प्रिय भाषा की उन्नति व प्रगति के लिए आप जो भी और जिस रूप में भी कर रहे हैं, उसकी जानकारी इस मंच पर टिप्पणी के माध्यम से अथवा अपनी रचनाओं को ई-मेल अथवा डाक के माध्यम से संस्था को उपलब्ध कराकर दें। हिन्दी-विमर्ष के इस मंच पर निःस्वार्थ सेवा के उद्देश्य से अवश्य पधारें।
उत्तर प्रदेश शासन के भाषा विभाग द्वारा इस संस्था के माध्यम से निम्न योजनाएं संचालित की जाती हैं:
मौलिक हिन्दी कृतियों में सृजनात्मक साहित्य का प्रकाशन।
हिन्दी के अलावा अन्य भारतीय तथा विदेशी भाषाओं के काव्य, नाटक व कथा साहित्य का हिन्दी अनुवाद तथा प्रकाशन।
प्रतिष्ठित विद्वानों तथा साहित्यकारों की व्याख्यानमाला का आयोजन।
हिन्दुस्तानी त्रैमासिक नाम से साहित्यिक पत्रिका का प्रकाशन।
उत्कृष्ट कोटि के एवं प्राचीन साहित्यिक संदर्भग्रन्थों के पुस्तकालय का संचालन।
शीघ्र ही यहाँ ‘एकेडमी’ में संरक्षित अमूल्य साहित्यिक धरोहर से आप सबको परिचित कराने का क्रम प्रारम्भ किया जाएगा। इससे यदि आप पहले से किसी रूप में जुड़े रहे हों तो अपने संस्मरण भेज सकते हैं। आपके सहयोग का स्वागत है।
(‘हिन्दुस्तानी’ त्रैमासिक में प्रकाशित रचनाओं का कोई पारिश्रमिक संस्था द्वारा फिलहाल भुगतान नहीं किया जाता है।)
-सिद्धार्थ
ई-मेल: hindustaniacademy@gmail.com
मेरा मेल: tripathito@gmail.com
डाक का पता: १२डी, कमला नेहरू मार्ग, इलाहाबाद (उ.प्र.) २११००१
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